पाकिस्तान का राष्ट्रपति कौन है, Pakistan का president कौन है, पाकिस्तान के राष्ट्रपति का नाम क्या है

पाकिस्तान के राष्ट्रपति का नाम आरिफ अल्वी है, और आरिफ अल्वी पाकिस्तान के 13वे राष्ट्रपति है, और उनको 4 सितंबर 2018 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था, वह जून 2013 से मई 2018 और फिर अगस्त से सितम्बर 2018 तक पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली के सदस्य थे, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

किसी भी देश को चलाने में और उसकी अर्थवेवस्था को चलाने में राष्ट्रपति की अहम भूमिका होती है लेकिन बहुत से लोगों को अपने राष्ट्रपति के नाम तक नहीं पता होता है जिस तरह से सभी देशों के राष्ट्रपति होते है उसी तरह से Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai.

बहुत से लोगों की अपने देश के राष्ट्रपति के नाम को लेके या फिर फ़िलहाल मेरे देश का राष्ट्रपति कौन है इस बात को लेके काफी doubt रहता है तो आजके इस article के माध्यम से हम आपको पाकिस्तान का राष्ट्रपति कौन है या पाकिस्तान के राष्ट्रपति का क्या नाम है।

राष्ट्रपति संसद के सदनों के निर्वाचक सदस्यों के साथ साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभाओ के निर्वाचक सदस्यों द्वारा चुना जाता है, राष्ट्रपति एक राज्य का मुखिया होता है जिस तरह से सभी राज्य का राष्ट्रपति होता है उसी तरह से पाकिस्तान का भी एक राष्ट्रपति है, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति का नाम आरिफ अल्वी है, और आरिफ अल्वी पाकिस्तान के 13वे राष्ट्रपति है, और उनको 4 सितंबर 2018 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था।

वह जून 2013 से मई 2018 और फिर अगस्त से सितम्बर 2018 तक पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली के सदस्य थे। और फिर राष्ट्रपति के चनाव द्वारा आरिफ अल्वी को  4 सितंबर 2018 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया और तब से लेके अब तक ये राष्ट्रपति के रूप में है।

उनका जन्म 29 अगस्त सन 1949 में हुआ था और इनका जन्म स्थान पाकिस्तान के कराची में हुआ था, और इनके पिता का नाम हबीब-उर-रहमान इलाही अलवी है, जोकि भारत में के दन्त चिकित्सक थे और पाकिस्तान की स्थापना होने के बाद वो पाकिस्तान चले गए, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

आरिफ अल्वी के पिता भारत से जाने के बाद उन्होंने सदर शहर में एक दंत चिकित्सा खोल लिया और एक दन्त चिकित्सक के रूप में काम करने लगे, कुछ समय के बाद उनके पिता का राजनीतिक रूप से जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान से संबद्ध हो गए । पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की वेबसाइट के अनुसार, अल्वी के पिता जवाहर लाल नेहरू के दंत चिकित्सक थे।

आरिफ अल्बी जी का कराची ग्रामर स्कूल से निष्कासित होने के बाद उन्होंने अपनी आगे की पढाई कराची में पूरी की और कराची की पढाई पूरी हो जाने के बाद वो 196  Lah में लाहौर से दंत चिकित्सा की शिक्षा के लिए चले गए।

और वहां पर इन्होने डेंटिस्ट्री के डी’ मोंटमोरेंसी कॉलेज से बैचलर ऑफ़ डेंटल सर्जरी की डिग्री प्राप्त की, और उन्होंने 1975 में मिशिगन विश्वविद्यालय से प्रोस्थोडॉन्टिक्स में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की, और फिर उन्होंने 1984 में सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में पेसिफिक विश्वविद्यालय से ऑर्थोडॉन्टिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद वो पाकिस्तान लौट आये और पाकिस्तान लौटने के बाद उन्होंने दन्त चिकित्सा और सेटअप अल्वी डेंटल अस्पताल शुरू किया। और आरिफ अल्बी की शादी समीना अल्बी से हुई है और इनके चार विवाहित बच्चे है।

और हम इनके प्रोफेशन और कॅरिअर की बात करे तो आरिफ अल्बी जी 1981 में वे पहले पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय दन्त के अध्यक्ष थे और 1981 में वे तीसरे पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय दन्त सम्मलेन के अध्यक्ष बने और वे पाचवे पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय दन्त सम्मलेन के संरक्षक बने, और काफी समय तक उन्होंने इन सब में काम किया और उन्होंने पाकिस्तान डेंटल एसोसिएशन का संविधान भी बनाया और इसके अध्यक्ष भी बने।

उन्होंने कॉलेज ऑफ फिजिशियन और सर्जन पाकिस्तान के हड्डी रोग संकाय के डीन के रूप में कार्य किया, 2006 में, उन्हें एशिया पैसिफिक डेंटल फेडरेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। अगले वर्ष, उन्हें एफडीआई वर्ल्ड डेंटल फेडरेशन के पार्षद के रूप में चुना गया, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

और अगर मै इनके राजनितिक क्षेत्र में आने की बात करूँ तो ये सबसे पहले एक पोलिंग एजेंट के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया, और एक धार्मिक पार्टी में शामिल हुए।

और काफी दिनों तक पार्टी में काम किया और वो राजनितिक क्षेत्र में काफी मेहनत भी किये लेकिन उनको कुछ खास दिखा नहीं और कुछ समय तक पार्टी में काम किया और फिर उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया, काफी समय के बाद इमरान खान से प्रेरित होने के बाद वे 1996  में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में शामिल हो गए और पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक बन गए, उन्होंने पीटीआई के पार्टी संविधान को तैयार करने में भाग लिया।

फिर उन्होंने राजनितिक क्षेत्र में अपनी यात्रा सुरु की और फिर कभी पीछे मुड कर नहीं देखा और धीरे धीरे राजनितिक क्षेत्र में वह 1997 में पीटीआई के सिंध अध्याय के अध्यक्ष बने, 2001 में, वह पीटीआई के उपाध्यक्ष बने, और 2006 में, वह पीटीआई के महासचिव बने, एक स्थिति जो उन्होंने 2013 तक निभाई, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

और वह 2013 के आम चुनावों में सिंध से नेशनल असेंबली सीट जीतने वाले एकमात्र पीटीआई सदस्य बने, और 2016 में, उन्हें पीटीआई सिंध अध्याय का अध्यक्ष बनाया गया था।

18 अगस्त 2018 को, उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रपति के पद के लिए पीटीआई द्वारा अपने उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था, 4 सितंबर 201 September को, उन्हें पाकिस्तानी राष्ट्रपति चुनाव 201 में पाकिस्तान के 13 वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया, और तब से लेके अब तक वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में है

पाकिस्तान का प्रथम राष्ट्रपति कौन था

पाकिस्तान के प्रथम राष्ट्रपति मोहम्मद अली जिन्नाह थे, इनका जन्म 25 दिसम्बर 1876 में हुआ था।

मोहम्मद अली जिन्नाह का जन्म 25 दिसम्बर 1876 में करांची जिले में वज़ीर मेसन में हुआ जोकि सिंध प्रान्त में पड़ता है जिन्नाह के पता को जिन्नाह भाई के नाम से जमा जाता था और इनकी माँ को नाम मिठीबाई था और ये पीला गुजरती थे और बाद में करांची में sift हुए थे, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

इनके पिता की सात सन्तानों  थीं जिसमे की मोहम्मद अली जिन्नाह जी सबसे बड़े थे, और उनके पिता जिन्नाभाई एक सम्पन्न गुजराती व्यापारी थे, लेकिन जिन्ना के जन्म के पूर्व वे काठियावाड़ छोड़ सिन्ध में जाकर बस गये, कुछ सूत्रों के मुताबिक़ ये पता चलता है की जिन्नाह के पूर्वज  हिन्दू राजपूत हुआ करते थे, जिन्होंने कुछ समय बाद इस्लाम क़बूल कर लिया था।

अगर मै इनकी शिक्षा की बात करू तो ये कई स्कूलों में इनकी शिक्षा हुई थी सबसे पहले शुरू-शुरू में वे कराची के सिन्ध मदरसा-ऊल-इस्लाम में अपनी पढ़ाई की और कुछ समय के लिए गोकुलदास तेज प्राथमिक विद्यालय बम्बई में भी पढ़े, और फिर क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल कराची चले गये, अन्ततोगत्वा उन्होंने बम्बई विश्वविद्यालय से ही मैट्रिक पास किया।

और मैट्रिक पास करने के तुरन्त बाद ग्राह्म शिपिंग एण्ड ट्रेडिंग कम्पनी में उन्हें अप्रैंटिस के रूप में काम करने के लिए बुलावा गया और वो वहां पर कुछ समय तक काम किया। और उन्होंने अपने माँ के आग्रह पर शादी भी कर ली लेकिन वह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं नहीं तिकी और दोनों अलग हो गए, और मोहम्मद अली जिन्नाह जी इंग्लैंड चले गए और इंग्लैंड जाने के बाद उनकी माँ चल बसीं, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

1918 में जिन्ना ने पारसी धर्म की लड़की से दूसरी शादी की, और धर्म को लिखे मस्लिम समाज इनका बहुत बिरोध किया और अन्त में उनकी पत्नी रत्तीबाई ने इस्लाम कबूल कर लिया, 1919 में उन्होंने अपनी एक मात्र सन्तान डीना को जन्म दिया।

इंग्लैंड में उन्होंने कानून की पढ़ाई के लिए अप्रैंटिस छोड़ दी और वकालत की पढाई की और उन्नीस साल की छोटी उम्र में वे वकील बन गये, इसी के साथ राजनीति में भी उनकी रुचि जाग्रत हुई, और राजनीती में आने के लिए उन्होंने दादाभाई नौरोजी और फिरोजशाह मेहता का सहारा लिया और उन्होंने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ संवैधानिक नजरिया अपना लिया था।

ब्रिटेन प्रवास के अन्तिम दिनों में उनके पिता का व्यवसाय चौपट हो गया और जिन्नाह पर परिवार संभालने का दबाव पड़ने लगा, और वो मुंबई वापस आ गये और बहुत कम समय में ही एक नामी वकील बन गये, उनकी योग्यता ने बाल गंगाधर तिलक  को काफी प्रभावित किया और उन्होंने 1905 में अपने खिलाफ लगे राजद्रोह के मामले की सुनवाई के लिए जिन्नाह को ही अपना वकील बनाया, इसके बावजूद भी तिलक को सश्रम कारावास की सजा दी गयी, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

अगर मै इनके राजनितिक जीवन के शुरुआत की बात करू तो 1896 में जिन्ना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये, तब तक कांग्रेस भारतीय राजनीतिक का सबसे बड़ा संगठन बन चुका था, और इन्होने बहुत मेहनत की और ये साठ सदस्यीय इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य बन गये, इस परिषद को कोई अधिकार प्राप्त नहीं थे और इसमें कई यूरोपीय और ब्रिटिश सरकार के भक्त शामिल थे।

और काफी समय तक कांग्रेस के साथ काम किया और फिर बाद में उन्होंने अल्पसंख्यक मुसलमानों को नेतृत्व देने का फैसला कर लिया, और 1913 में जिन्ना मुस्लिम लीग में शामिल हो गये और 1916 के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता की, Pakistan ka rashtrapati kaun hai, Pakistan ka president kaun hai, Pakistan ke rashtrapati ka naam kya hai।

और अंग्रेजों के शासन से आजादी के बाद भारत का बंटवारा हिंदू मुश्लिम के आधार पर हुआ और मुश्लीम देश पाकिस्तान बना और उसके राष्ट्रपति जिन्नाह बने।

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